झरना के गंदा पानी पीने को विवश हैं लिट्टीपाड़ा के आदिम जनजाति के लोग
शोभा की वस्तु बनकर रह गया है डीप बोरिंग
सरकार की राशि का किस प्रकार दुरुपयोग हो रहा है इसका एक उदाहरण लिट्टीपाड़ा में देखने को मिल रहा है। लाखो खर्च कर कुरमा डांगा डीप बोरिंग सिर्फ शोभा की वस्तु बना हुआ है। जिस कारण यहां के ग्रामीण झरने का गंदा एवं दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। प्रकृति की गोद में बसा पाकुड़ जिला का सबसे पिछड़ा प्रखंड लिट्टीपाड़ा के आदिम जनजाति के लोग जो पहाड़ों में निवास करते है सरकार उन्हें हर सुविधा देने की वादा करती है किंतु इसके उलट रोजगार से लेकर शुद्ध पेयजल,सड़क,बिजली कई मूलभूत सुविधाओं से ये आज भी महरूम हैं। ताजा मामला प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर प्रकृति की गोद में बसा कुकरमा गांव का है। यहां के भोले भाले आदिम जनजाति सरकार के झूठे वादे से निराश है।ग्रामीण धर्मा पहाड़ियां, सिमोन मालतो,सिलास मालतो, बाद्री पहाडिन,मैसी मालतो, सुर्जा पहाड़ियां ने बताया कि सिर्फ झूठा आश्वासन से हमलोग अब हार चुके हैं। अगर अगला एमपी या एमएलए का चुनाव होने से पहले हमसब ग्रामीण को शुद्ध पेय जल नहीं मिला तो हमसभी ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार करेंगे।क्योंकि झरना का दूषित एवं गंदा जल पीने से अक्सर घर के सदस्य बच्चे बूढ़े बीमार पड़ते है। समय से पूर्व ही पैसे और इलाज के अभाव में काल के गाल में समा जाते हैं। अच्छे अस्पताल ले जाकर इलाज नहीं करा पा रहे है। जीविकोपार्जन के लिए एक मात्र खेती बरबट्टी एवं मकई है।इस ओर प्रशासन को ध्यान देना जरूरी है।
रिपोर्ट- आलोक रंजन Alok Ranjan